Market girne ka Karan today :- भारतीय शेयर बाजार में गुरुवार, 3 अक्टूबर को भारी गिरावट का सामना करना पड़ा है। प्रमुख सूचकांकों, निफ्टी और सेंसेक्स, में लगभग 2% की गिरावट आई है, जो निफ्टी में 500 से ज्यादा अंक और सेंसेक्स में 1800 से अधिक अंकों की कमी के रूप में देखी जा रही है। यह गिरावट 5 अगस्त 2024 के बाद से सबसे बड़ी इंट्राडे गिरावट मानी जा रही है। मिडिल ईस्ट में तनाव, एफ एंड ओ पर सेबी के नए नियम, और चीन के बाजार में विदेशी निवेशकों की बढ़ती रुचि के कारण भारतीय बाजार में इस गिरावट का मुख्य कारण माना जा रहा है।
शेयर बाज़ार के लगभग सभी सेक्टर्स में है सेलिंग प्रेसर
आज के बाजार में निफ्टी बैंक, ऊर्जा, ऑटो और इंफ्रास्ट्रक्चर समेत सभी 13 सेक्टरों में बिकवाली देखी जा रही है। इनमें 2-3% तक की गिरावट आई है। प्रमुख सूचकांकों के साथ ही ब्रॉडर मार्केट में भी बिकवाली का दबाव बना हुआ है। मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स भी लगभग 2% तक गिर चुके हैं। इस सब के बीच, वोलाटिलिटी इंडेक्स, इंडिया VIX में भी 13% तक की उछाल देखने को मिली है। आइए, अब जानते हैं बाजार में गिरावट के 5 प्रमुख कारण क्या हैं।
1. ईरान-इजराइल के बीच बढ़ता तनाव
ईरान की ओर से इजरायल पर बैलिस्टिक मिसाइल से हमले के बाद, मिडिल ईस्ट में जियोपॉलिटिकल तनाव बढ़ गया है। इजरायल ने इस हमले के बाद बयान दिया है कि वह जवाबी कार्रवाई करेगा। इस स्थिति में, निवेशकों के बीच युद्ध की संभावित दिशा को लेकर डर व्याप्त है। ऐसे समय में, बाजार में अस्थिरता बढ़ जाती है, जिससे निवेशकों के मन में अनिश्चितता पैदा होती है।
2. एफ एंड ओ पर सेबी के उठाए कदम
भारतीय शेयर बाजार को मार्केट रेगुलेटर सेबी द्वारा एफ एंड ओ के संबंध में नए नियमों की घोषणा से भी नुकसान उठाना पड़ा है। नए नियमों के अनुसार, वीकली एक्सपायरीज के कॉन्ट्रैक्ट साइज और लिमिट बढ़ने की संभावना है, जिससे रिटेल निवेशकों की भागीदारी में कमी आ सकती है। यह स्थिति बाजार की लिक्विडिटी को प्रभावित कर सकती है, जिसके कारण कुछ समय और बाज़ार में बिकवाली संभव हो सकती है।
3. एफआईआई का भारत से चीन की ओर बढ़ता निवेश
विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) भी भारतीय बाजार से बिकवाली कर रहे हैं। हाल ही में, चीन के केंद्रीय बैंक, पीपल्स बैंक ऑफ चाइना (PBoC) ने अपनी अर्थव्यवस्था को मौजूदा संकट से उबारने के लिए एक राहत पैकेज का ऐलान किया है। इसके परिणामस्वरूप, चीन के शेयर बाजार में तेजी देखने को मिल रही है। ऐसे में, विदेशी संस्थागत निवेशक बेहतर वैल्यूएशन के कारण चीन की ओर आकर्षित हो रहे हैं, जिससे भारतीय बाजार पर दबाव पड़ रहा है।
4. कच्चे तेल के दाम $75 के पास
मिडिल ईस्ट में बढ़ते तनाव का कच्चे तेल के दाम पर भी असर देखने को मिल रहा है। वर्तमान में, ब्रेंट क्रूड ऑयल का दाम 75 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुँच गया है। मीडिया रिपोर्टों में यह आशंका व्यक्त की जा रही है कि इजरायल जवाबी हमले में ईरान के तेल क्षेत्रों को निशाना बना सकता है। इस स्थिति में, कच्चे तेल की सप्लाई में संकट पैदा हो सकता है, जिसका प्रभाव भारत और चीन जैसे कच्चे तेल के बड़े आयातकों पर पड़ेगा। इसके परिणामस्वरूप महंगाई में भी वृद्धि हो सकती है।
5. अमेरिका में चुनावी अनिश्चितता
अमेरिका में चुनावी तारीखों के नजदीक आने के साथ-साथ बाजार में घबराहट भी बढ़ गई है। अमेरिका के इतिहास में यह चुनाव सबसे करीबी मुकाबला माना जा रहा है, जहां कुछ राज्यों में रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी के बीच कांटे की टक्कर चल रही है। ऐसे में, बाजार के लिए नतीजों का अनुमान लगाना मुश्किल हो रहा है, जो निवेशकों के मन में अनिश्चितता पैदा कर रहा है।
बाजार की संभावनाएँ
हालांकि, इन सभी चुनौतियों के बीच, विश्लेषकों का मानना है कि भारतीय बाजार में यह गिरावट लंबे समय तक नहीं टिकेगी। तकनीकी दृष्टिकोण से, विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक निफ्टी 25,250 – 25,100 के स्तर को नहीं तोड़ता है, तब तक इस गिरावट को खरीदारी के अवसर के रूप में देखा जाना चाहिए।
निवेशकों को इस समय सतर्क रहना होगा और बाजार के रुझानों पर नज़र रखनी होगी। इस गिरावट के दौरान निवेश करने से भविष्य में लाभ कमाने की संभावना बनी रहेगी।
निष्कर्ष में, शेयर बाजार की वर्तमान स्थिति और इसके भविष्य की संभावनाओं पर विचार करना महत्वपूर्ण है। निवेशकों को सही समय पर निर्णय लेना चाहिए, ताकि वे इस गिरावट को एक अवसर में बदल सकें।